ज्ञान गंगा एक धार्मिक व प्रशिद्ध पुस्तक है। ज्ञान गंगा पुस्तक के लेखक संत रामपाल जी महाराज जी है। अनादि काल से ही मानव परम शांति, सुख व अमृत्व की खोज में लगा हुआ है। वह अपने सामथ्र्य के अनुसार प्रयत्न करता आ रहा है लेकिन उसकी यह चाहत कभी पूर्ण नहीं हो पा रही है। ऐसा इसलिए है कि उसे इस चाहत को प्राप्त करने के मार्ग का पूर्ण ज्ञान नहीं है। सभी प्राणी चाहते हैं कि कोई कार्य न करना पड़े, खाने को स्वादिष्ट भोजन मिले, पहनने को सुन्दर वस्त्र मिलें, रहने को आलीशान भवन हों, घूमने के लिए सुन्दर पार्क हों, मनोरंजन करने के लिए मधुर-2 संगीत हों, नांचे-गांए, खेलें-कूदें, मौज-मस्ती मनांए और कभी बीमार न हों, कभी बूढ़े न हों और कभी मृत्यु न होवे आदि-2, परंतु जिस संसार में हम रह रहे हैं यहां न तो ऐसा कहीं पर नजर आता है और न ही ऐसा संभव है। क्योंकि यह लोक नाशवान है, इस लोक की हर वस्तु भी नाशवान है और इस लोक का राजा ब्रह्म काल है जो एक लाख मानव सूक्ष्म शरीर खाता है। उसने सब प्राणियों को कर्म-भर्म व पाप-पुण्य रूपी जाल में उलझा कर तीन लोक के पिंजरे में कैद किए हुए है।
ज्ञान गंगा पुस्तक में क्या लिखा हुआ है?
ज्ञान गंगा पुस्तक मे संत रामपाल जी महाराज के प्रवचनो का संग्रह है जो कि पवित्र धर्मग्रंथों मे लिखे तथ्यो पर आधारित है।
संत रामपाल जी महाराज ने बताया है कि जो पाठकजन पूरा विश्वास के साथ रूची और निष्पक्ष भाव से ज्ञान गंगा पुस्तक का अनुसरण करेगा उसका कल्याण संभव है :-
आत्म प्राण ही उद्दार ही , ऐसा धर्म नही और। कोटि अश्वमेघ यज्ञ , सकल समाना भौर। जीव उद्दार परम पुण्य ,ऐसा कर्म नही और। मरूस्थल के मृग ज्यो , सब मर गए दौर – दौर।।
भावार्थ :- यदि एक आत्मा को सतभक्ति मार्ग पर लगाकर उसका आत्म कल्याण करवा दिया जाए तो करोड़ अवश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है और उसके बराबर कोई भी धर्म नही है। जीवात्मा के उद्धार के लिए किए गए कार्य अर्थात सेवा से श्रेष्ठ कोई भी कार्य नही है । अपने पेट भरने के लिए तो पशु – पक्षी भी सारा दिन भ्रमते है ।
उसी तरह वह व्यक्ति जो परमार्थी कार्य नही करता,परमार्थी कर्म सर्वश्रेष्ठ सेवा जीव कल्याण के लिए किया कर्म है।जीव कल्याण के लिए किया कर्म है। जीव कल्याण का कार्य न करके सर्व मानव मरूस्थल के हिरण की तरह दोड़ – दौङ कर मर जाते है।जिसे कुछ दूरी पर जल ही जल दिखाई देता है और वहां दौङकर जाने पर थल ही प्राप्त होता है।फिर कुछ दूरी पर थल का जल दिखाई देता है ।
ज्ञान गंगा पुस्तक मंगवाने के लिए क्या करना पड़ेगा?
ज्ञान गंगा पुस्तक मंगवाने के लिए आपको अपना:-
- नाम
- पता
- फ़ोन नंबर
- एड्रेस
- पिनकोड
इस +91 7496801823 whatsapp नंबर पर भेज देना है। यह पुस्तक 30 दिनों के अंदर डाक के द्वारा भेज दिया जाएगा। आप इस पुस्तक को pdf में download करके पढ़ सकते हैं।
Frequently Asked Questions
Question 1. ज्ञान गंगा पुस्तक के लेखक कौन हैं?
ज्ञान गंगा पुस्तक के लेखक संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
Question 2. ज्ञान गंगा पुस्तक में क्या लिखा हुआ है?
ज्ञान गंगा पुस्तक में सभी धर्म के पवित्र शास्त्रों से प्रमाणित ज्ञान है। पूर्ण परमात्मा कौन है? कैसा है? कहाँ रहता है? उसका नाम क्या है? क्या परमात्मा हमारे पाप कर्मों को काट सकता है? ऐसे कई सवालों के जबाव सरलता व शास्त्रों से प्रमाणित करके दी गयी है। जिसे आज तक ऋषि महऋषियों को भी समझ नहीं आया।
Question 3. ज्ञान गंगा पुस्तक कैसे ऑर्डर कर सकते हैं?
ज्ञान गंगा पुस्तक ऑर्डर करने के लिए आपको अपना नाम, पता, एड्रेस, पिन कोड, ब्लॉक लिख कर satlok ashram के whatsapp no +91 7496801823 पर मैसज करदें।