कबीर जी के गुरु कौन थे?

कबीर जी के गुरु कौन थे?:- स्वामी रामानन्द जी अपने समय के सुप्रसिद्ध विद्वान कहे जाते थे। वे द्राविड़ से काशी नगर में वेद व गीता ज्ञान के प्रचार हेतु आए थे। उस समय काशी में अधिकतर ब्राह्मण शास्त्राविरूद्ध भक्तिविधि से जनता को दिशा भ्रष्ट कर रहे थे। भूत-प्रेतों के…
ऋषि विवेकानन्द जी से ज्ञान चर्चा।

ऋषि विवेकानन्द जी से ज्ञान चर्चा:- स्वामी रामानन्द जी का एक शिष्य ऋषि विवेकानन्द जी बहुत ही अच्छे प्रवचनकर्ता के रूप में प्रसिद्ध थे। ऋषि विवेकानन्द जी को काशी शहर के एक क्षेत्रा का उपदेशक नियुक्त किया हुआ था। उस क्षेत्रा के व्यक्ति ऋषि विवेकानन्द जी के धारा प्रवाह प्रवचनों…
भक्ति करना क्यों अनिवार्य है?

भक्ति करना क्यों अनिवार्य है?:- सभी संतो-महात्माओं ने भक्ति को बहुत हीं ज्यादा महत्त्व दिया है लेकिन लोग भक्ति के जगह पैसे को ज्यादा महत्त्व देते हैं जिसका एक समय के बाद कोई उपयोग नहीं रह जाता है। भक्ति हम क्यों करें? इस सवाल का जबाब इस पोस्ट में दिया गया…
श्री नानक देव जी के गुरु जी कौन थे?

श्री नानक देव जी के गुरु जी कौन थे?:- इस विषय पर अभी तक भ्रान्तियाँ थी। सिख समाज का मानना है कि श्री नानक देव जी का कोई गुरु नहीं था। सिख समाज का यह भी मानना है कि भाई बाले ने जो कुछ भी जन्म साखी बाबा नानक की…
कबीर साहेब प्रकट दिवस 2024

कबीर साहेब प्रकट दिवस 2024:- कबीर परमेश्वर चारों युगों में इस पृथ्वी पर सशरीर प्रकट होते हैं। अपनी जानकारी आप ही देते हैं। परमात्मा सतयुग में ‘‘सत्य सुकृत’’ नाम से, त्रेता में ‘‘मुनिन्द्र’’ नाम से तथा द्वापर में ‘‘करुणामय’’ नाम से तथा कलयुग में‘‘कबीर’’ नाम से प्रकट होते हैं। ‘‘कबीर…
परम अक्षर ब्रह्म अर्थात् सत्यपुरूष के अवतारों की जानकारी।

परम अक्षर ब्रह्म स्वयं पृथ्वी पर प्रकट होता है। वह सशरीर आता है। सशरीर लौट जाता है:- यह लीला वह परमेश्वर दो प्रकार से करता है। i. प्रत्येक युग में परम अक्षर ब्रह्म शिशु रूप में किसी सरोवर में कमल के फूल पर वन में प्रकट होता है। वहां से निःसन्तान दम्पति उसे…
काल ब्रह्म के अवतारों की जानकारी।

गीता अध्याय 4 का श्लोक 7 यदा, यदा, हि, धर्मस्य, ग्लानिः, भवति, भारत, अभ्युत्थानम्, अधर्मस्य, तदा, आत्मानम्, सजामि, अहम्।।7।। अनुवाद: (भारत) हे भारत! (यदा,यदा) जब-जब (धर्मस्य) धर्म की (ग्लानिः) हानि और (अधर्मस्य) अधर्म की (अभ्युत्थानम्) वृद्धि (भवति) होती है (तदा) तब-तब (हि) ही (अहम्) मैं (आत्मानम्) अपना अंश अवतार (सजामि) रचता हूँ अर्थात् उत्पन्न करता हूँ। (7) जैसे श्रीमद्भगवत् गीता अध्याय 4 श्लोक 7 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि जब-जब धर्म में…
कौन तथा कैसा है कुल का मालिक?

जिन-जिन पुण्यात्माओं ने परमात्मा को प्राप्त किया उन्होंने बताया कि कुल का मालिक एक है। वह मानव सदृश तेजोमय शरीर युक्त है। जिसके एक रोम कूप का प्रकाश करोड़ सूर्य तथा करोड़ चन्द्रमाओं की रोशनी से भी अधिक है। उसी ने नाना रूप बनाए हैं। परमेश्वर का वास्तविक नाम अपनी-अपनी…
भक्ति मर्यादा (Bhakti Maryada)

”जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा ।हिन्दु मुसलिम सिक्ख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा ।।“ प्रिय भक्तजनों ! आज से लगभग पाँच हजार वर्ष पहले कोई भी धर्म या अन्य सम्प्रदाय नहीं था। न हिन्दु, न मुसलिम, न सिक्ख और न ईसाई थे। केवल मानव धर्म था। सभी का…