कबीर साहेब प्रकट दिवस 2024:- कबीर परमेश्वर चारों युगों में इस पृथ्वी पर सशरीर प्रकट होते हैं। अपनी जानकारी आप ही देते हैं। परमात्मा सतयुग में ‘‘सत्य सुकृत’’ नाम से, त्रेता में ‘‘मुनिन्द्र’’ नाम से तथा द्वापर में ‘‘करुणामय’’ नाम से तथा कलयुग में
‘‘कबीर’’ नाम से प्रकट होते हैं।
‘‘कबीर परमेश्वर जी का कलयुग में अवतरण’’ (कबीर साहेब प्रकट दिवस 2024)
परमेश्वर कबीर जी के विषय में दन्त कथा प्रचलित है कि उनका जन्म विधवा स्त्री के गर्भ से महर्षि रामानन्द जी के आशीर्वाद से हुआ था। यह पूर्णतया निराधार है। कबीर परमेश्वर चारों युगों में सह-शरीर प्रकट होते हैं।
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
कलयुग में कबीर साहेब जी के प्रकट होने का संछिप्त परिचय।
कबीर साहेब कलयुग में सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) ज्येष्ठ मास शुद्धि पूर्णमासी को ब्रह्ममूहूर्त में अपने निज धाम सत्यलोक से सशरीर आकर एक बालक रूप बनाकर लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर विराजमान हुए थे। इसके ही उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष कबीर प्रकट दिवस मनाया जाता है। कबीर साहेब के अवतरण पर संत गरीबदास जी की वाणी है-
गरीब, सेवक हो कर उतरे, इस पृथ्वी के माहि।
जीव उधारन जगतगुरु, बार-बार बलि जांही।।
सन् 1398 में परमेश्वर कबीर जी जब सत्यलोक से नीचे शिशु रूप में अवतरित हो रहे थे, तो उनके शरीर का दिव्य प्रकाश ऋषि अष्टानन्द जी को दिखाई दिया। वे प्रतिदिन उस लहरतारा सरोवर पर स्नान-ध्यान करने जाया करते थे। अष्टानंद जी के पूछने पर स्वामी रामानंद जी ने अष्टानन्द जी से कहा, जब कोई अवतारी शक्ति पृथ्वी पर लीला करने आती है तो ऐसी घटना होती है। उस समय लहरतारा तालाब पर वहां स्नान करने आए निसंतान जुलाहा दंपति नीरू नीमा कबीर जी को अपने साथ घर ले आए थे (कबीर साहेब प्रकट दिवस 2024)। इसके बाद कबीर जी की परवरिश कुंवारी गाय के दूध द्वारा हुई थी।
शास्त्रों में प्रमाण है की कबीर परमेश्वर चारों युगों में प्रकट होते हैं वो माँ से जन्म नहीं लेते हैं।
ऋग्वेद मण्डल नं. 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में भी यही वर्णन है कि जिस समय अमर पुरुष शिशु रूप में पृथ्वी के ऊपर प्रकट होते हैं तो उनका पोषण कंवारी गायों द्वारा होता है।
कलयुग में कबीर जी 120 वर्ष तक रहें, अपनी पुण्यात्माओं को कबीर वाणी, लोकोक्ती, कविताओं द्वारा तत्वज्ञान से परिचित किया। उन्होंने गुरु का महत्व समझाने के लिए औपचारिकता रूप में 104 वर्ष के स्वामी रामानंद जी को 5 वर्ष की आयु में गुरु धारण किया था। लेकिन वास्तविकता में स्वामी रामानंद जी कबीर साहेब द्वारा बताई सतभक्ति किया करते थे।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17,18 में प्रमाण है कि कबीर साहेब (Kabir Saheb Prakat Diwas) शिशु रूप धारण करके लीला करते हुए बड़े होते हैं (Parmeshwar Kabir Saheb Prakat Diwas) तथा कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करते हैं। इससे सिद्ध है की कबीर साहेब अविनाशी प्रभु है जिनकी जन्म व् मृत्यु नहीं होती।
कबीर साहेब की वाणी है :-
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
पांच तत्व की देह न मेरी, ना कोई माता जाया।
जीव उदारन तुम को तारन, सीधा जग में आया।।
परमात्मा कबीर साहेब चारो युगों में इसही तरह लीलाम्य तरीके से प्रकट होते है।
सतयुग में सत सुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनींद्र मेरा।
द्वापर में करुणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराय।।
कबीर परमेश्वर का सतयुग में सत सुकृत नाम रहता है। त्रेता में मुनीन्द्र, द्वापर में करूणामय कहलाते हैं। कलयुग में कबीर नाम धराते हैं। पपरमेश्वर कबीर साहेब की का जन्म किसी युग में माँ के गर्भ से नहीं होता इस लिए कबीर साहेब का प्रकाट्य दिवस मनाया जाता है, जयंती नहीं। जयंती उनकी होती है जो जन्मते और मरते है। कबीर साहेब जी जन्म मृत्यु से परे अविनाशी परमेश्वर है।
हाड चाम लहू नहीं मेरे, कोई जाने सतनाम उपासी।
तारण तरण अभय पद दाता, मैं हूँ कबीर अविनाशी।।
आज इस पूरी पृथ्वी पर सिर्फ संत रामपाल जी महाराज ही वह पूर्ण सतगुरु हैं जो कि कबीर परमेश्वर जी का ज्ञान जन जन तक पहुंचा रहे हैं।
कबीर प्रकट दिवस 2024 तिथि
वर्ष 2024 में, 627वां कबीर प्रकट दिवस 22 जून को मनाया जा रहा हैं जो कि हर साल ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। सन 1398 में कबीर परमेश्वर इसी दिन काशी में लहरतारा तालाब पर कमल के फूल पर प्रकट हुए थे। इस शुभ अवसर के उपलक्ष्य में 20 से 22 जून 2024 तक तीन दिवसीय अखंड पाठ और भंडारे का आयोजन होने वाला है। यह आयोजन देश-विदेश के 11 सतलोक आश्रमों में आयोजित किया जा रहा है:-
- सतलोक आश्रम कुरूक्षेत्र, हरियाणा, भारत
- सतलोक आश्रम भिवानी, हरियाणा, भारत.
- सतलोक आश्रम मुंडका, दिल्ली, भारत.
- सतलोक आश्रम शामली, उत्तर प्रदेश, भारत.
- सतलोक आश्रम खमाणो, पंजाब, भारत.
- सतलोक आश्रम धूरी, पंजाब, भारत
- सतलोक आश्रम सोजत, राजस्थान, भारत.
- सतलोक आश्रम इंदौर, मध्य प्रदेश, भारत.
- सतलोक आश्रम बैतूल, मध्य प्रदेश, भारत.
- सतलोक आश्रम धनाना धाम, हरियाणा, भारत.
- सतलोक आश्रम धनुषा, नेपाल
हम हर साल कबीर प्रकट दिवस क्यों मनाते हैं?
भगवान कबीर जी द्वारा बताई गई सच्ची पूजा विधि सभी कष्टों का अंत करती है। परमेश्वर कबीर जी स्वयं सर्वोच्च परमेश्वर हैं। वह जो चाहे कर सकते हैं। यहां काशी में अपने 120 वर्षों के लंबे प्रवास के दौरान, उन्होंने कई लोगों की बीमारियों को ठीक किया है। उन्होंने अपने 64 लाख भक्तों के कष्टों को दूर करने के साथ-साथ उन्हें पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने के लिए सच्चे मंत्र दिए। भगवान कबीर जी के यहाँ प्रकट होने का जश्न मनाने का इससे बेहतर कारण क्या हो सकता है।
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